इस साल फिर से स्मार्ट कार्ड बनेगा। यह जानकारी गाँव–गाँव में लोगो तक पहुँचने लगी हैं। बी.पी.एल सूची के लोगो का कार्ड बनेगा। क्या सारे गरीबों का नाम बी.पी.एल सूची में हैं? हम सब जानते हैं न जाने कितने गरीब इस सूची से बाहर हैं और न जाने कितने लोग इस सूची में शामिल हैं जो असल में गरीब नहीं हैं? इस सूची के आधार पर जो कुछ बनेगा, रहेगा तो वह गडबड ही। पिछले साल जैसे–तैसे लोगो ने कार्ड बनवा लिये पर इलाज कहाँ और कैसे होगा? यह जानकारी करना बडी बात थी। अस्पताल सीतापुर शहर के थे जिनमें स्मार्ट कार्ड पर दवा मिलनी थी। अस्पताल जाने पर पता चला कि आपको कम से कम तीन दिन के लिए भर्ती होना होगा तब इलाज किया जायेगा। या तो बीमार व्यक्ति का आपरेशन किया जायेगा। कितने लोगो का कार्ड तो उनके कम्प्युटर में खुला ही नहीं। एक दो चक्कर लगाने के बाद बैठ गये। बाद में अखबारों से पता चला कि प्राइवेट डाक्टरों ने उल्टा–सीधा करके इससे खूब पैसा बनाया। क्यों गरीबों के लिए बनाया गया हर कानून व नियम अमीरों की कमाई का नया साधन बनकर रह जाता है?
रामचन्द्र गोपलापुर