किस बिरादरी के हैं?
काम मांगो अभियान के प्रथम चरण में पहला ब्लाक की ग्राम पंचायतों में जाने का मौका मिला। पहले दिन बेहमा ग्राम पंचायत में शाम के 4 बजे पहुंचे। वहां प्रधान का लडका मिला। वह लगातार हमारे साथ रहा। रास्ते में प्रधान के लडके ने पूछा– आप लोग किस बिरादरी के हैं? अनुसूचित जाति के हैं, कहते हुए हम आगे बढ गयें। लेकिन मन में यह सवाल भी उठा कि आखिर हमारे देश में वह कौन सा दिन होगा जब लोग यह सवाल करना बन्द कर देंगे? वह दिन कभी आयेगा भी या नहीं?
जगन्नाथ, अल्लीपुर पिसावां
”पी” का कमाल
हम परसेंडी ब्लाक के एक गांव में गयें। वहां प्रधान जी ने बहुत अच्छे से बात की। हमारे रहने और खाने की अच्छी व्यवस्था की लेकिन जब आवेदन लगाने का काम शुरू किया गया प्रधान का एक आदमी दारू पीकर वहां हंगामा करने लगा। ब्लाक पर बात हुयी। बहुत मुश्किल से मारपीट होने से बचा। यहां से हम दूसरे ग्राम पंचायत में गयें। वहां बहुत अच्छा माहौल था। एक बुजुर्ग माताजी ने हम लोगों का खूब सहयोग किया। मुझे तो लगता है कि काम मांगो अभियान में वहीं दिक्कते आयीं या विवाद हुआ जहां प्रधान या रोजगार सेवक चाहते थे कि कम से कम डिमान्ड लगे।
रामसुधाकर जाजपुर खैराबाद
कौन सी जाति?
काम मांगो अभियान के दौरान हम एक ऐसे गांव में पहुंचे जहां प्रधान ठाकुर बिरादरी के थे। पहुंचने के साथ ही प्रधान जी ने जाति पूछी। और फिर पानी चाय प्रधान जी के घर से आया लेकिन प्लास्टिक के ग्लास में। हम लागों ने चाय पी ली और तय किया कि प्रधान के घर नहीं रूकेंगे। हम दूसरे मजरे में गये और मजदूर साथियों के घर में रहें।
चन्द्रभाल, फखरपुर पिसावां
नीयत ही नहीं
रेउसा ब्लाक के थानगांव पहुंच कर मैंने रोजगार सेवक को फोन किया। थोडी देर में प्रधान और रोजगार सेवक दोनो आ गयें। रोजगार सेवक ने कहा तुम किस चक्कर में पडें हो? हम तुमको कुछ समझ देंगे। लेकिन हम उनकी इस बात को नहीं समझना चाहते थे।
हमारा रूख देखकर वह नाराज होकर बोला- ठीक है जाओ बनाओ डिमान्ड। उसने एक लडके को हमारे साथ कर दिया और बोला- इनके साथ जाओ डिमान्ड पर बना देना, बस रिसीविंग हो जाऐगी। धन्य हैं ये लोग।
विनोद कुमार विश्वनाथपुर, मिश्रिख