शिकायतों का पुलिन्‍दा

मेरे पास शिकायतों का पुलिन्‍दा है मुख्‍यमंत्री को पांच, प्रधानमंत्री को तीन, राषटपति को दो, राहुल गांधी को एक बार पत्र भेजा चुका है। मुझे लगता है कहीं न कहीं कोई न कोई तो सुनेगा। कुछ तो कार्यवाही नहीं होगी। लेकिन नहीं, कहीं से कोई कार्यवाही नहीं हुयी। डी.एम. को लोकवाणी किया कोई जवाब नहीं मिला। ठण्‍ड में तिरपाल के नीचे ओस टपकती है। बारिश में हम नारकीय जीवन बिताते है। अपने बच्‍चों का लेकर कहां जायें? कटान की तरह ही लोगों को बसाने की भी बडी समस्‍या है। अब तो जिद है कि चाहे कुछ भी करना पडे अपने गांव को कटान से बचाना और बसाना है।

जगदम्‍बा शर्मा काशीपुर

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कब तक?

हमारे यहां के बहुत लोग बाहर चले गयें| आवास की जगह नहीं है, कटान रूक नहीं रही| सब लोग भाग रहे हैं, गांव खतम हो रहे हैं| कटान ने हम लोगों को सडक पर ला दिया है| बहुत आवेदन किया बसाने के लिए, अधिकारी आश्‍वासन भी दियें लेकिन बसाने कोई कहीं नहीं बसा रहा है| गरीबों की कहीं कोई सुनवाई नहीं है| हम कब तक ऐसे सडको पर पडे रहेंगे? यह कोई जिन्‍दगी?

बदलूरामहरिजन सेवा समिति, काशीपुर

जाग मेरी बहना – जाग मेरे भइया

जाग मेरी बहना जाग मेरे भइया

शारदा से कटने न पाये मडइया

जाग मेरी बहना जाग मेरे भइया ……….|

बीते जमाने में अपना भी राज था |

गांवो में खुशिया थी खेतों में नाज था |

घर के बयालों में गाये चिरैया

शारदा से कटने न पाये मडइया

जाग मेरी बहना जाग मेरे भइया ……….|

चलकर सरकार से पूछे सवाल रे

शारदा से कटते हुए बीते साठ साल रे

डूब गयी कितनो की जीवन की नैइया

शारदा से कटने से न पाये मडइया

जाग मेरी बहना जाग मेरे भइया ……….|

मंत्री से चलो चले पूछें सवाल रे

हर साल डूबे गांव कैसी ये चाल रे

तुम ही डुबाते हो बनके खिवैया

शारदा से कटने से न पाये मडइया

जाग मेरी बहना जाग मेरे भइया ……….|

सीतापुर जिले का बहुत बुरा हाल रे

आधे में सूखा है आधे में बाढ रे

शासन प्रशासन न कोई सुनैया

शारदा से कटने से न पाये मडइया

जाग मेरी बहना जाग मेरे भइया ……….|

सोये हुये लोगों को अब हम जगायेंगे

बहुत कुछ सहा है न अब हम सहेंगें

अपनी ही नैया के हम खुद खिवैया

दुष्‍टो से लडने को एक हो जा भइया

शारदा से कटने से न पाये मडइया

जाग मेरी बहना जाग मेरे भइया ……….|

                                                                                       सुरबाला वैश्‍य सतनापुर  

जिन्‍दगी का सवाल

 

2008 में 6 बीघा जमीन कट गयी और अब फिर घर के किनारे नदी आ गयी है। अगर कटान हुआ तो असईपुर में मेरा सबसे पहला घर होगा जो कटेगा। कटान रोको संघर्ष मोर्चा की लगातार कोशिशों से पिछले साल बारिश के समय प्रशासन ने सीमेन्‍ट की बोरियां लगायी। थोडा काम हुआ लेकिन हम कटने से बच गये। हम सब लगातार प्रयास कर रहे हैं लेकिन सरकार इस पर ध्‍यान नहीं दे रही है। सरकार के लिए तीन करोड क्‍या होता हैं? हमारी जिन्‍दगियों का सवाल है। अगर इस बार कटेगा तो बाल बच्‍चे कहां रहेंगे, यह सोचकर मन घबराता है।

रामगोपाल यादवअसईपुर

 

टांगे तोड़े रे महंगाई

टांगे तोड़े रे महँगाई, का बताई ककुआ

सत्तर रूपया में दाल हुइ गयी, अस्सी मा भा प्याज

बीस रुपइया बढ़ी मंजूरी, कइसे पेट चलाई

का बताई ककुआ……..

जीना मुश्किल हुईगा भाई, का बताई ककुआ

टांगे तोड़े रे महँगाई, का बताई ककुआ

लोग कहे मज़दूरी बढ़िगे, मज़दूरन के ठाठ

चालीस रूपया में आटा हुइगा, चूल्हा देखै बाट

का बताई ककुआ…….

जीना मुश्किल हुईगा भाई, का बताई ककुआ

धनिया, मिर्चा महंगा हुइगा, हल्दी रेट बढ़ाई

लहसुन पकड़ि लिहिस महंगाई, का बताई ककुआ

का बताई ककुआ…….

जीना मुश्किल हुईगा भाई, का बताई ककुआ

रूई दुफरदा महंगा हुइगा, महंगी हुई भरायी

घर मा रहि गयी न रजाई

का बताई ककुआ…….

जीना मुश्किल हुईगा भाई, का बताई ककुआ

टांगे तोड़े रे महंगाई…….

स्मार्ट कार्ड का स्मार्ट खेल

इस साल फिर से स्मार्ट कार्ड बनेगा। यह जानकारी गाँवगाँव में लोगो तक पहुँचने लगी हैं। बी.पी.एल सूची के लोगो का कार्ड बनेगा। क्या सारे गरीबों का नाम बी.पी.एल सूची में हैं? हम सब जानते हैं न जाने कितने गरीब इस सूची से बाहर हैं और न जाने कितने लोग इस सूची में शामिल हैं जो असल में गरीब नहीं हैं? इस सूची के आधार पर जो कुछ बनेगा, रहेगा तो वह गडबड ही। पिछले साल जैसेतैसे लोगो ने कार्ड बनवा लिये पर इलाज कहाँ और कैसे होगा? यह जानकारी करना बडी बात थी। अस्पताल सीतापुर शहर के थे जिनमें स्मार्ट कार्ड पर दवा मिलनी थी। अस्पताल जाने पर पता चला कि आपको कम से कम तीन दिन के लिए भर्ती होना होगा तब इलाज किया जायेगा। या तो बीमार व्यक्ति का आपरेशन किया जायेगा। कितने लोगो का कार्ड तो उनके कम्प्युटर में खुला ही नहीं। एक दो चक्कर लगाने के बाद बैठ गये। बाद में अखबारों से पता चला कि प्राइवेट डाक्टरों ने उल्टासीधा करके इससे खूब पैसा बनाया। क्यों गरीबों के लिए बनाया गया हर कानून व नियम अमीरों की कमाई का नया साधन बनकर रह जाता है?

रामचन्द्र गोपलापुर